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    अवलोकन

    प्राचीन काल से सूर्य को हमारे ग्रह पर जीवनदाता के रूप में पूजा जाता रहा है। औद्योगिक युग ने हमें ऊर्जा स्रोत के रूप में सूर्य के प्रकाश की समझ दी है। भारत विशाल सौर ऊर्जा क्षमता से संपन्न है। भारत के भूमि क्षेत्र में प्रति वर्ष लगभग 5,000 ट्रिलियन किलोवाट घंटे ऊर्जा प्रवाहित होती है और अधिकांश भागों में प्रति दिन 4-7 किलोवाट घंटे प्रति वर्गमीटर ऊर्जा प्राप्त होती है। भारत में बड़ी मापनीयता प्रदान करते हुए सौर फोटोवोल्टिक ऊर्जा का प्रभावी ढंग से उपयोग किया जा सकता है। सौर ऊर्जा वितरित आधार पर बिजली पैदा करने की क्षमता भी प्रदान करती है और कम समय में तेजी से क्षमता बढ़ाने में सक्षम बनाती है। ऑफ-ग्रिड विकेन्द्रीकृत और कम तापमान वाले अनुप्रयोग ग्रामीण अनुप्रयोग की दृष्टि से लाभदायक होंगे और ग्रामीण तथा शहरी क्षेत्रों में बिजली, हीटिंग और कूलिंग की अन्य ऊर्जा जरूरतों को पूरा करेंगे। प्रचुर मात्रा में उपलब्ध होने के कारण ऊर्जा सुरक्षा के दृष्टिकोण से, सौर ऊर्जा सभी स्रोतों में सर्वाधिक सुरक्षित है। सैद्धांतिक रूप से, कुल आकस्मिक सौर ऊर्जा का छोटा सा अंश (यदि प्रभावी ढंग से उपयोग किया जाए) पूरे देश की बिजली आपूर्ति की ज़रूरतों को पूरा कर सकता है।

    पिछले कुछ वर्षों के दौरान भारतीय ऊर्जा परिदृश्य में सौर ऊर्जा का स्पष्ट प्रभाव देखने को मिला है। सौर ऊर्जा आधारित विकेन्द्रीकृत और वितरित अनुप्रयोगों ने भारतीय गांवों में लाखों लोगों की भोजन पकाने, प्रकाश व्यवस्था और अन्य ऊर्जा जरूरतों को पर्यावरण अनुकूल तरीके से पूरा कर उन्हें लाभान्वित किया है। सामाजिक और आर्थिक लाभों में लंबी दूरी से ईंधन की लकड़ी इकट्ठा करने और धुएँ वाली रसोई में खाना पकाने वाली ग्रामीण महिलाओं और लड़कियों के कठिन परिश्रम में कमी, फेफड़ों और आंखों की बीमारियों के जोखिम को कम करना, ग्रामीण स्तर पर रोजगार सृजन और अंततः जीवन स्तर में सुधार और ग्रामीण स्तर पर आर्थिक गतिविधियों के लिए अवसर का सृजन शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, भारत में सौर ऊर्जा क्षेत्र पिछले कुछ वर्षों में ग्रिड से जुड़ी बिजली उत्पादन क्षमता में महत्वपूर्ण योगदानकर्ता के रूप में उभरा है। यह सतत विकास के सरकारी एजेंडे का समर्थन करता है, साथ ही देश की ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिए समाधान का एक अभिन्न अंग और ऊर्जा सुरक्षा के लिए एक आवश्यक योगदानकर्ता के रूप में उभर रहा है।

    राष्ट्रीय सौर ऊर्जा संस्थान (नाइस) ने देश की लगभग 748 गीगावॉट की सौर संभाव्यता का आकलन किया है, जिसमें माना गया है कि बंजर भूमि क्षेत्र का 3% सौर पीवी मॉड्यूलों द्वारा कवर किया जाएगा। सौर ऊर्जा ने जलवायु परिवर्तन पर भारत की राष्ट्रीय कार्य योजना में महत्वपूर्ण स्थान लिया है, जिसके अंतर्गत राष्ट्रीय सौर मिशन (एनएसएम) प्रमुख मिशनों में से एक है। एनएसएम की शुरुआत 11 जनवरी, 2010 को की गई थी। एनएसएम, भारत की ऊर्जा सुरक्षा चुनौतियों का समाधान करते हुए, पारिस्थितिक सतत विकास को बढ़ावा देने के लिए राज्यों की सक्रिय भागीदारी के साथ भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है। यह जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों से निपटने के वैश्विक प्रयास में भारत का बहुत बड़ा योगदान होगा। मिशन का उद्देश्य यथाशीघ्र देश भर में सौर प्रौद्योगिकी प्रसार के लिए नीतिगत स्थितियां बनाकर भारत को सौर ऊर्जा में वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करना है। यह गैर-जीवाश्म ईंधन-आधारित ऊर्जा संसाधनों से लगभग 50 प्रतिशत संचयी विद्युत स्थापित क्षमता प्राप्त करने और वर्ष 2030 तक वर्ष 2005 के स्तर से अपने सकल घरेलू उत्पाद की उत्सर्जन तीव्रता को 45 प्रतिशत तक कम करने के भारत के राष्ट्रीय स्तर पर निर्धारित योगदान (एनडीसी) लक्ष्य के अनुरूप है।

    उपरोक्त लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए, भारत सरकार ने देश में सौर ऊर्जा उत्पादन को प्रोत्साहित करने के लिए सौर पार्क योजना, वीजीएफ योजनाएं, सीपीएसयू योजना, रक्षा योजना, केनाल बैंक और केनाल टॉप योजना, बंडलिंग योजना, ग्रिड कनेक्टेड सोलर रूफटॉप योजना आदि जैसी विभिन्न योजनाएं शुरू की हैं।

    सरकार ने देश में सौर ऊर्जा को बढ़ावा देने के लिए विभिन्न कदम उठाए हैं। इनमें शामिल हैं:

    1. ऑटोमेटिक रूट के अंतर्गत 100 प्रतिशत तक प्रत्यक्ष विदेशी निवेश (एफडीआई) की अनुमति देना,
    2. 30 जून, 2025 तक चालू होने वाली परियोजनाओं के लिए सौर और पवन विद्युत की अंतर-राज्य बिक्री के लिए अंतर-राज्य पारेषण प्रणाली (आईएसटीएस) शुल्कों को माफ करना,
    3. वर्ष 2029-30 तक अक्षय ऊर्जा खरीद दायित्व (आरपीओ) के लिए ट्रेजेक्टरी की घोषणा,
    4. सौर फोटोवोल्टेक प्रणाली/उपकरण लगाने के लिए मानकों की अधिसूचना,
    5. निवेशों को आकर्षित करने और सुविधाजनक बनाने के लिए परियोजना विकास एकक की स्थापना,
    6. ग्रिड कनेक्टेड सोलर पीवी और पवन परियोजनाओं से बिजली की खरीद के लिए टैरिफ आधारित प्रतिस्पर्धी बोली प्रक्रिया के लिए मानक बोली दिशानिर्देश।
    7. सरकार ने यह आदेश जारी किए हैं कि विद्युत की आपूर्ति साख पत्र (लेटर ऑफ क्रेडिट – एलसी) या अग्रिम भुगतान के माध्यम से की जाएगी ताकि वितरण लाइसेंसधारियों द्वारा अक्षय ऊर्जा उत्पादकों को समय पर भुगतान सुनिश्चित हो सके।
    8. हरित ऊर्जा खुली पहुंच नियमावली, 2022 के जरिए अक्षय ऊर्जा को बढ़ावा देने की अधिसूचना जारी करना
    9. “विद्युत (विलंब भुगतान अधिभार और संबंधित मामले) नियमावली (एलपीएस नियमावली)” को अधिसूचित करना
    10. एक्सचेंज के माध्यम से अक्षय ऊर्जा विद्युत की बिक्री को सुविधाजनक बनाने की दृष्टि से ग्रीन टर्म अहेड मार्केट (जीटीएएम) की शुरुआत की गई